सरकारी बैंकों का प्राइवेटाइजेशन: वित्त सचिव ने रखी अपनी राय
नई दिल्ली: बैंकों को लाभदायक बनाने के उद्देश्य से उनके प्राइवेटाइजेशन पर गंभीर चर्चा जारी है। वित्त सचिव टी.वी. सोमनाथन ने हाल ही में इंडिया पॉलिसी फोरम 2021 में कहा कि सरकार लगभग सभी सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (PSU Banks) का निजीकरण करने की योजना बना रही है। उन्होंने यह स्पष्ट किया कि यह उनकी व्यक्तिगत राय है, और सरकार अपनी नीतियों के तहत इस क्षेत्र में सीमित दखल बनाए रखेगी।
सोमनाथन ने ये टिप्पणियाँ उस मंच पर की, जिसे राष्ट्रीय अर्थव्यवस्थाई अनुसंधान परिषद (NCAER) ने आयोजित किया था। यह बयान तब आया है जब देश की सबसे बड़ी सरकारी बीमा कंपनी अपने आईपीओ (IPO) के लिए तैयारी कर रही है।
सरकारी बैंकों की संख्या होगी कम
सोमनाथन ने कहा कि समय के साथ, अधिकतर सरकारी बैंकों का प्राइवेटाइजेशन किया जाएगा, हालांकि यह प्रक्रिया पूरी तरह से निजीकरण नहीं होगी। उन्होंने बताया कि बैंकिंग क्षेत्र उन क्षेत्रों में से एक है, जहां केवल कुछ ही सरकारी बैंक रहेंगे।
सब्सिडी में सुधार की आवश्यकता
वित्त सचिव ने यह भी बताया कि आवश्यक वस्तुओं के लिए आर्थिक सहायता के साथ सरकारी सब्सिडी में सुधार की आवश्यकता है। उन्होंने कृषि, खाद्य, और उर्वरक सब्सिडियों में आवश्यक बदलावों की बात की और बताया कि इनमें से कई सब्सिडियां आपस में जुड़ी हुई हैं।
शिक्षा, स्वास्थ्य, और इन्फ्रास्ट्रक्चर पर ध्यान
सोमनाथन ने शिक्षा, स्वास्थ्य, और इन्फ्रास्ट्रक्चर पर सार्वजनिक खर्च को बेहतर बनाने की आवश्यकता को भी रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि जीएसटी (GST) फाइलिंग में आ रही समस्याओं का समाधान कर लिया गया है और राजस्व संग्रहण में सुधार की दिशा में ठोस योजनाएं बनाई जा रही हैं।
निष्कर्ष
सरकारी बैंकों के प्राइवेटाइजेशन और सुधारों के इस एजेंडे से वित्त सचिव ने स्पष्ट संकेत दिया है कि सरकार बैंकिंग क्षेत्र में अपनी भूमिका को सीमित करने का प्रयास कर रही है। इससे न केवल बैंकों की प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी, बल्कि वित्तीय स्थिरता और विकास में भी मदद मिलेगी।