जानिए क्या है बजट की सबसे बड़ी घोषणा की सच्चाई

जानिए क्या है बजट की सबसे बड़ी घोषणा की सच्चाई

2 साल पहले के बजट भाषण में इसी नाम से हेल्थ इंश्योरेंस की योजना का किया था एलान, लेकिन दो साल में योजना पर अमल की दिशा में कोई कदम नहीं उठाया।

सरकार एक नई स्वास्थ्य सुरक्षा योजना शुरू करेगी जिसके तहत प्रति परिवार को एक लाख रुपये सालाना का कवर मिलेगा। 60 साल से ऊपर के वरिष्ठ नागरिकों को 30 हजार रुपये का अतिरिक्त टॉप अब भी मिल सकेगा।

- अरुण जेटली , बजट भाषण, 2016

मौजूदा राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत सालाना सिर्फ 30 हजार रुपये का कवरेज मिल रहा है। हम एक फ्लैगशिप स्वास्थ्य सुरक्षा योजना शुरू करेंगे। इसके तहत 10 करोड़ गरीब परिवारों (50 करोड़ सदस्यों) को पांच लाख रुपये प्रति वर्ष प्रति परिवार का लाभ मिल सकेगा।

- अरुण जेटली, बजट भाषण, 2018

 

नई दिल्ली : वित्त मंत्री अरुण जेटली ने दस करोड़ परिवारों को सालाना पांच लाख रुपये का स्वास्थ्य बीमा उपलब्ध करवाने का जो एलान किया है, वह इस बजट ही नहीं, मोदी सरकार की अब तक की सबसे बड़ी लोक कल्याणकारी योजनाओं में शामिल हो सकता है। लेकिन हैरानी की बात है कि खुद उन्होंने ही दो साल पहले अपने बजट भाषण में इसी नाम से इस योजना का एलान किया था। लेकिन वित्त मंत्री का वह एलान सिर्फ कागजों में ही रह गया। इस बात की गवाही उन्होंने खुद अपने ही भाषण में दे दी। उन्होंने खुद कहा कि मौजूदा स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत सिर्फ 30 हजार रुपये का कवर ही मिल रहा है।

 

पहले थी आरएसबीवाई

पिछली सरकार ने राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना (आरएसबीवाई) के नाम से असंगठित क्षेत्र के मजजदूरों के लिए इसे शुरू किया था। इसके बेहद सफल मॉडल को देखते हुए इसे दूसरे गरीब परिवारों के लिए भी शुरू करने का फैसला किया गया। बाद में इसे स्वास्थ्य मंत्रालय के जिम्मे दे दिया गया। इसके साथ ही इसका नाम 2016-17 में राष्ट्रीय स्वास्थ्य सुरक्षा योजना यानी नेशनल हेल्थ प्रोटेक्शन स्कीम (आरएसएसवाई या एनएचपीएस) रखा गया। अपने बजट भाषण में गुरुवार को वित्त मंत्री ने फिर से इसी नाम से इस योजना को शुरू करने की घोषणा की है। दो साल पहले के बजट में एलान के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी मासिक प्रगति बैठक के दौरान इस पर कई बार चर्चा भी की थी। लेकिन इस पर सहमति नहीं बन सकी थी।

 

तैयारी में लगेगा वक्त

स्वास्थ्य मंत्रालय के शीर्ष सूत्रों ने कहा कि इसे किस तरह लागू किया जाएगा, इसको ले कर अभी पूरी व्यवस्था तय नहीं की गई है। अगर सरकार इसे लागू करने के लिए निजी बीमा कंपनियों की बजाय कुछ राज्यों में अपनाए गए ट्रस्ट के सफल मॉडल को अपनाती है, तो उसके गठन से ले कर उसे ऑपरेशनल बनाने तक में समय लगेगा। इसी तरह लाभार्थियों की पहचान, रजिस्ट्रेशन, कार्ड उपलब्ध करवाने से ले कर बहुत सी प्रक्रिया पूरी करनी होगी। ऐसे में सरकार के लिए अपने मौजूदा कार्यकाल में इसे लागू करना बड़ी चुनौती होगी।

 

क्या है बीमा योजना

अगर यह योजना लागू हो जाती है तो आम लोगों को अस्पताल में भर्ती होने पर खर्च होने वाली पांच लाख रुपये तक की रकम की चिंता नहीं करनी होगी। यह वास्तव में दुनिया की ऐसी सबसे बड़ी योजनाओं में शामिल होगी। ऐसे में गरीबों को सिर्फ सरकारी अस्पताल में ही जाने की बाध्यता नहीं होगी। वे ऐंपेनल्ड प्राइवेट अस्पताल में भी इलाज करवा सकेंगे। यह रकम परिवार के लिए सामूहिक रूप से तय की गई है। यानी एक सदस्य पर अगर चार लाख खर्च हुए तो उसी साल के दौरान दूसरे को एक लाख तक का ही लाभ मिल सकेगा।

 

क्या हैं खतरे

अब तक सरकार अपनी योजनाओं के तहत सरकारी अस्पतालों और स्वास्थ्य केंद्रों पर खर्च करती थी। लेकिन बीमा योजना के बाद सरकारी धन का बड़ा हिस्सा इस पर खर्च हो जाएगा। इससे सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं के उपेक्षित होने और सही निगरानी व्यवस्था नहीं होने पर निजी क्षेत्र की मुनाफाखोरी बढ़ने की आशंका भी है।

स्वास्थ्य मंत्री भी चुप

बजट के तुरंत बाद केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने मीडिया को बुलाया था। इस दौरान खास तौर पर मीडिया के सामने दोनों राज्य मंत्री भी मौजूद रहते। जाहिर है कि बजट के तुरंत बाद इस योजना के बारे में ही वे मीडिया को बताते। लेकिन ऐन मौके पर उनका कार्यक्रम रद्द कर दिया गया। इसकी कोई वजह भी नहीं बताई गई है।

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